संपादकीय विभाग व संरक्षक बोर्ड

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जिसकी सोच में दिलेरी की जागरूकता है, वही राजेंद्र बहादुर है ...



-विजय यादव

 तुलसी पंछी के पिए घटे न सरिता नीर, धरम किये धन न घटे कह गए दास कबीर।
 कुछ ऐसी ही सोच को लेकर समाज के सामने खुद को समर्पित करने वाले श्री राजेंद्र बहादुर यादव आज समाज के तमाम लोगों के लिए एक आदर्श बन गए हैं। १८ साल की उम्र में १९८८ को जौनपुर के मुगराबादशाहपुर विधानसभा क्षेत्र के सरायकेवट गांव से चलकर मुंबई पहुंचने वाले इस सख्स ने कभी नहीं सोचा होगा कि, पिताजी से विरासत में मिले जिस एक टैंकर से कारोबार शुरू कर रहा है आज वह करीब एक हजार परिवारों के भरण-पोषण का कारक बन जाएगा। आप चाहें तो, इसे सीधे-सीधे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि, पिताश्री रामफेर यादव ने एक चलते-फिरते वाहन के रूप में अपने आशीर्वाद के पुरे भण्डार को उड़ेल दिया था। कहते हैं जिसका उद्देश्य महान हो उसे भाग्य भी नहीं रोक सकता। इनकी भी सोच शुरू से ही कुछ करने की रही। वह भी ऐसा कार्य जो स्वयं तक सिमित नहीं होकर बल्कि ऐसा फलदार वृक्ष जो समाज के हर तबके के काम आ सके। इसी सोच ने इन्हें अपने कार्यों में आगे बढ़ने की ताकत दी और आज मुंबई से जौनपुर (यूपी) तक लोगो के ह्रदय में इन्होंने घर बना लिया।

 अपने दो भाइयों में सबसे बड़े राजेंद्र बहादुर यादव का आज भरा पूरा परिवार है। छोटे भाई श्री विजय बहादुर यादव का भी कारोबार और सामाजिक कार्यों में निरंतर सहयोग मिलता रहता है।  चार पुत्र महेंद्र यादव, सुरेंद्र यादव, अशोक कुमार यादव व अंकित भी अपने पिताजी के कार्यों में अपने हाथ बंटाते रहते हैं। ऐसे तो शुरूआती जीवन बहुत कठिनाइयों भरा नहीं था, परंतु अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए चुनौतियाँ बहुत थी। पिताजी ने बुलंद ईमारत के लिए एक टैंकर के रूप में मजबूत नीवं तो बना दी थी, लेकिन आगे का काम करने के इक मजबूत हौसले की जरुरत थी। राजेंद्र बहादुर ने इस काम को अपने नाम के मुताबिक बहादुरी और बुद्धि से आगे बढ़ाना शुरू किया, जो आज उन्हें समाज के सिंहासन पर सबसे ऊँची शिखर पर पहुंच दिया।
 सामाजिक रूप से जानने वाले गणमान्य संभवतः अभी तक यही जानते होंगें कि, राजेंद्र बहादुर यादव एक व्यावसायिक और राजनीतिक व्यक्ति हैं। यह सच भी है कि, आज वह महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी के उपाध्यक्ष होने के साथ-साथ अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा के महाराराष्ट्र उपाध्यक्ष और यादव समाज ट्रस्ट के राष्ट्रीय महासचिव भी हैं।  इसके आलावा स्थानीय स्तर के तमाम संगठनो को प्रेरणा दे रहे हैं। अब हम जो बताने जा रहे हैं वह निश्चित रूप से आपके लिए नई जानकारी होगी। इसे इनके सेवाभाव का दूसरा स्वरूप भी कहा जा सकता है। जौनपुर के जिस सरायकेवट गाँव में जन्मे थे आज उसके कर्ज को उतारने या यूँ कहें अपनी मातृभूमि के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के लिए एक ऐसे सरस्वती मंदिर की स्थापना करने जा रहे हैं, जहाँ गांव की माटी में खेलने वाला बच्चा भी उच्च शिक्षा को प्राप्त कर सके। इसके लिए लगभग तैयारियां पूरी हो चुकी है। देश के अलग-अलग हिस्सो से श्रेष्ठ शिक्षकों को गाँव लाया जा रहा है, जो शहरी विद्यालयों से भी अच्छी और आधुनिक शिक्षा देने में सक्षम हों। केंद्रीय बोर्ड के पैटर्न पर पढाई, हाई टेक्नोलॉजी से युक्त शिक्षा प्रणाली, पूरी तरह से कम्प्यूटराइज्ड सिस्टम और पर्यावरण के अनुकूल शौर्य ऊर्जा से संचालित व्यवस्था। इसके पीछे की सोच यह है कि, अगले २० सालों तक पूरी ईमानदारी और निष्ठां से काम किया गया तो, आने वाली पीढ़ी अपना ही नहीं बल्कि पुरे मुगराबादशाहपुर क्षेत्र को एक आदर्श इलाके के रूप में भारत ही नहीं दुनिया के मानचित्र पर अंकित कर देगा। राजेंद्र बहादुर का कहना है कि, जब तक समाज का हर बच्चा १०० प्रतिशत सम्पूर्ण रूप से शिक्षित नहीं हो जाता तब तक देश भर में समाज के समर्थ लोगों को आगे आकर यह कार्य करना होगा।
 शिक्षा के साथ-साथ ग्रामीण स्वास्थ्य पर भी बड़ा काम हो रहा है। मुगराबादशाहपुर क्षेत्र के हजारो जरूरतमंद लोगों का स्वास्थ्य बीमा कराने का कार्य चल रहा है। इसके साथ ही चेरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से अलग-अलग गांवों में दवाखाने खोलने की भी मजबूत तैयारियां पूरी कर ली गई हैं, जहाँ हर व्यक्ति का प्राथमिक स्तर पर निःशुल्क उपचार होगा। इसके आलावा कई सेवा कार्य तो पहले से ही क्षेत्र में चलाये जा रहे हैं। जैसे अन्नदान, कन्यादान व वस्त्र वितरण आदि। इनके अन्नदान का तरीका भी निराला है। गांव में इनकी करीब ९० बीघा ज़मीन है। इस ज़मीन से पैदा होने वाले अनाज के एक भी दाने को बेच नहीं जाता बल्कि इसे सुरक्षित तरीके से स्टोर कर दिया जाता है। किसी की बेटी की सादी, अथवा अन्य प्रसंगों में आवश्यकता अनुशार सहयोग के रूप में दे दिया जाता है। खास बात यह है कि, अन्नदान की इस प्रकिरिया को पूरी तरह से गुप्त रखा जाता है। राजेंद्र बहादुर यादव का मानना है कि, ऐसे दान व सहयोग को गुप्त ही रखा जाना चाहिए। भगवान श्री कृष्ण के अनंत भक्त राजेंद्र बहादुर का कहना है कि, सेवा भाव से किये गए कार्य को प्रचारित करने का अधिकार हमें नहीं है क्योंकि जो मै दे रहा हूँ वह हमारा स्वयं का अर्जित किया हुआ नहीं है बल्कि प्रभु श्री कृष्ण का है। हम तो निमित्त मात्र भर हैं। ठंढ और अन्य मौसम में कंबल व दूसरे वस्त्रों का दान भी इसी नीति और विचारों के तहत किया जाता है।
 राजेंद्र बहादुर यादव द्वारा बड़ी संख्या में सोलर लाईट भी क्षेत्र में लगाए गए हैं जहाँ बच्चे रात्रि के समय समूह में बैठकर पढाई करते हैं। बड़े-बुजुर्गों के लिए सोलर लाइट रात में राह दिखाने का काम करता है। सोलर लाइट लगाने में इन्होंने कभी जातीय व धार्मिक भेद-भाव नहीं रखा। इनके द्वारा लगाए गए सोलर लैम्प जहाँ समाज के अलग-अलग बस्तियों में उजाला फैला रहा है वहीँ धार्मिक स्थलों मंदिर-मस्जिदों में भी रोशनी बिखेर रहा है। इनका कहना है कि, जब सूरज अपनी रोशनी बिखेरते समय कभी भेद-भाव नहीं करता तो मैं कौन होता हूँ प्रकृति के खिलाफ जाने वाला। सबसे अहम बात यह है की इतने बड़े कार्य को करने के लिए निश्चित रूप से धन की बड़ी आवश्यकता होगी, सो उसका भी इंतजाम हो गया है। यूपी में अलग-अलग जगहों पर तीन पेट्रोल पम्प खोले जा रहे हैं जिनसे होने वाली इनकम का पूरा पैसा १०० प्रतिशत चेरिटी पर खर्च होगा। इस कड़ी में पहला पेट्रोल पम्प विंध्याचल पम्प के नाम से शुरू भी हो गया है। अगले दो पम्प जल्द ही शुरू होने की स्थिति में हैं।

 समाज सेवा की इतनी बड़ी सोच आप में आई कहाँ से ? इस सवाल के जवाब में बड़ी सरलता से जवाब देते हैं "हमारे सबसे बड़े जीवन दर्शक माता-पिता हैं जिनकी सोच और विचारधारा हमें हमेशा कुछ नया करने की हिम्मत और प्रेरणा देती रहती है। इसके अलावा सामाजिक सरोकार के हमारे प्रेरणा मूर्ति माननीय श्री अखिलेश यादव हैं, जो फल की प्राप्ति की इच्छा लिए बगैर उत्तर प्रदेश का लगातार विकास कर रहे हैं। मैं इन सभी कार्यों का श्रेय माननीय श्री अबू आसिम आजमी को देता हूँ जो, हमारे जीवन में राजनीतिक गुरु के रूप में आये।" मानव सेवा की शिखर से भी ऊँची सोच रखने वाले आदरणीय राजेन्द्र बहादुर यादव को यदुवंश गौरव परिवार की ओर से कोटि-कोटि शुभकामनाये। ईश्वर इन्हें सदा सेवाभाव की ताकत और हिम्मत देता रहे। 

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